Navratri 2022: । स्नेह की देवी स्कंद माता की आराधना का खास महत्व है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि पहाड़ों पर रहकर संसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कंद माता की पूजा नवरात्रि में पांचवें दिन की जाती है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने से इन्हें स्कंद माता नाम से अभिहित किया गया। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।
स्कंद माता उपासना मंत्रः ॐ स्कंदमातायै नमः, सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।
पूजन विधिः बुद्धिबल वृद्धि के लिए देवी स्कंद माता पर 6 इलायची चढ़ाकर सेवन करें। सामाग्री चढ़ाते समय "ब्रीं स्कंद जनन्यै नमः" का जाप करें। उपाय मध्यान शुभ मुहूर्त में करें। निश्चित ही बुद्धिबल में वृद्धि होगी। भगवती स्कंद माता का ध्यान स्त्राेत व कवच का पाठ करने से विशुद्ध चक्र जागृत होता है। इससे मनुष्य की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। परम शांति व सुख का अनुभव होने लगता है।
देवी स्कंद माता का स्वरूपः माता की चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण एकदम शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है। शास्त्रों में इसका काफी महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है।
स्कंद माता उपासना मंत्रः ॐ स्कंदमातायै नमः, सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।
पूजन विधिः बुद्धिबल वृद्धि के लिए देवी स्कंद माता पर 6 इलायची चढ़ाकर सेवन करें। सामाग्री चढ़ाते समय "ब्रीं स्कंद जनन्यै नमः" का जाप करें। उपाय मध्यान शुभ मुहूर्त में करें। निश्चित ही बुद्धिबल में वृद्धि होगी। भगवती स्कंद माता का ध्यान स्त्राेत व कवच का पाठ करने से विशुद्ध चक्र जागृत होता है। इससे मनुष्य की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। परम शांति व सुख का अनुभव होने लगता है।