रविवार, 24 जुलाई को सावन महीने की एकादशी का व्रत किया जाएगा। जिसका नाम कामिका एकादशी है। पुराणों में कहा गया है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली इस एकादशी पर भगवान विष्णु को तुलसी पत्र चढ़ाने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इस दिन तीर्थ स्नान और दान से कई गुना पुण्य फल मिलता है।
भगवान विष्णु के सामने लें व्रत का संकल्प
स्कंद
पुराण में बताया गया है कि सावन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी
पर व्रत, पूजा और दान से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। लेकिन,
जानबूझकर दोबारा कोई पाप या अधर्म नहीं होगा, ऐसा संकल्प भगवान विष्णु के
सामने लेने पर ही इसका फल मिलता है। ये व्रत साल की 24 एकादशियों में खास
माना गया है।
ब्रह्माजी ने नारद को बताया
कामिका
एकादशी व्रत की कथा सुनना यज्ञ करने के समान है। इस व्रत के बारे में
ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद को बताया कि पाप से भयभीत मनुष्यों को कामिका
एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। एकादशी व्रत से बढ़कर पापों के नाशों का
कोई उपाय नहीं है। स्वयं प्रभु ने कहा है कि कामिका व्रत से कोई भी जीव
कुयोनि में जन्म नहीं लेता। जो इस एकादशी पर श्रद्धा-भक्ति से भगवान विष्णु
को तुलसी पत्र अर्पण करते हैं, वे इस समस्त पापों से दूर रहते हैं।
सावन में विष्णु पूजा महत्व
महाभारत
और भविष्य पुराण में बताया गया है कि सावन महीने के दौरान भगवान विष्णु की
पूजा करनी चाहिए। इनके अलावा विष्णुधर्मोत्तर पुराण में भी जिक्र है कि
सावन महीने में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत-उपवास से मिलने वाला पुण्य
कभी खत्म नहीं होता है। पुराणों में कहा गया है कि सावन महीने के दौरान
पंचामृत और शंख में दूध भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करने से जाने-अनजाने
में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
बिना पानी और भोजन के किया जाता है व्रत
सावन
महीने में आने वाली एकादशियों को पर्व भी कहा जाता है। सावन मास में भगवान
नारायण की पूजा करने वालों से देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो
जाते हैं। एकादशी के दिन स्नानादि से पवित्र होने के बाद पूजा का संकल्प
लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा करना चाहिए।
भगवान विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत और अन्य सामग्री चढ़ाकर आठों प्रहर निर्जल रहना चाहिए। यानी पूरे दिन बिना पानी पीए विष्णु जी के नाम का स्मरण करना चाहिए। एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन एवं दक्षिणा का भी बहुत महत्व है। इस प्रकार जो यह व्रत रखता है उसकी कामनाएं पूरी होती हैं।