पाकिस्तान में एक बार फिर
सत्ता परिवर्तन होता दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान के PM इमरान खान अपने साढ़े
3 साल के कार्यकाल के दौरान सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। विपक्षी दल
संसद में इमरान सरकार के खिलाफ 28 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की
तैयारी कर रहे हैं। इसी बीच इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी
PTI के करीब दो दर्जन सांसदों ने भी बगावत कर दी है। ऐसे में विपक्ष का
दावा है कि इमरान के दिन अब लद गए हैं।
ऐसे
में आइए जानते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है? विपक्ष इमरान के
खिलाफ क्यों अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है? कैसे बागियों के चलते इमरान की
सत्ता जा सकती है?
आखिर अविश्वास प्रस्ताव होता क्या है?
- पाकिस्तान के संविधान के आर्टिकल 95 के तहत प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नेशनल असेंबली में पेश किया जा सकता है।
- अविश्वास प्रस्ताव के लिए नेशनल असेंबली के कम से कम 20 फीसदी सदस्यों को एक नोटिस संसद के सचिवालय में जमा करवाना होता है।
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इसके बाद तीन दिन से पहले या सात दिन बाद इस प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं हो
सकती। नेशनल असेंबली में बहुमत से इस प्रस्ताव के मंजूर हो जाने पर
प्रधानमंत्री को पद छोड़ना पड़ता है।
- इस वक्त नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने के लिए 172 वोटों की जरूरत है।
इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया जा रहा है?
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हाल ही में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज यानी PML-N और विपक्ष के नेता
शहबाज शरीफ ने PML-N और PPP के 100 से ज्यादा सांसदों के साइन वाले
अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को नेशनल असेंबली में जमा कराया। उन्होंने इस
दौरान कहा कि हमने यह फैसला पाकिस्तान के लोगों के लिए लिया है न कि अपने
लिए।
- इसकी जरूरत क्यों आई, इस बारे में शहबाज शरीफ का कहना था कि
इमरान ने देश की इकोनॉमी को बर्बाद कर दिया है। इससे देश में महंगाई और
बेरोजगारी चरम पर है। कर्ज लेकर 22 करोड़ जनता को गिरवी रख दिया गया है।
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इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति और PPP के को-चेयरमैन आसिफ अली जरदारी ने कहा
कि सत्ताधारी दल के नेताओं समेत कई लोग सरकार के खराब प्रदर्शन से परेशान
हैं। हमें 272 से अधिक सांसदों का समर्थन है और हमारा कदम सफल होगा।
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इस्लामाबाद की रैली में पूर्व PM बेनजीर भुट्टो के बेटे और PPP नेता
बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि इमरान इस्तीफा दें और चुनाव में हमारा
सामना करें या फिर अविश्वास प्रस्ताव के लिए तैयार रहें।
- हालांकि
इमरान खान ने इकोनॉमी संकट का जवाब तेल और बिजली की कीमतों में कटौती के
साथ दिया है। इसके बावजूद इमरान की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं।
संसद में इमरान खान और विपक्ष को कितने सांसदों का समर्थन है?
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इमरान खान पाकिस्तान में गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। नेशनल
असेंबली में कुल सदस्यों की संख्या 342 है और बहुमत का आंकड़ा 172 है।
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इमरान की पार्टी के पास कुल 155 सांसद हैं। यानी बहुमत से 17 कम। हालांकि
PTI को 6 पार्टियों के 23 और सांसदों का समर्थन प्राप्त है, यानी इमरान
सरकार के पास अभी 178 सांसदों का समर्थन है।
- वहीं संयुक्त विपक्ष
जिसमें पूर्व PM नवाज शरीफ और बेनजीर भुट्टो की पार्टी PML-N और PPP के
कुल सांसदों की संख्या160 है। विपक्ष को नेशनल असेंबली में अविश्वास
प्रस्ताव को पास कराने के लिए 172 वोटों की जरूरत है। ऐसे में विपक्ष को
इमरान खान को सत्ता से बाहर करने के लिए 12 और सांसदों की जरूरत पड़ेगी।
इमरान खान ने विपक्ष के नेताओं को कैसी धमकी दी है?
- इमरान खान ने आरोप लगाते हुए कहा है कि जो भी सांसद उनके खिलाफ वोट करेगा, इसका मतलब यह होगा कि उसने खुद को बेच दिया है।
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पाकिस्तान के वेहारी जिले की मेलसी में एक रैली में इमरान खान ने विपक्ष
को चोरों का गिरोह बताया है। इस दौरान इमरान ने नवाज शरीफ को गीदड़ और उनके
भाई शहबाज को चपरासी और बूट पॉलिश करने वाला बताया।
- वहीं इमरान
ने पूर्व राष्ट्रपति जरदारी को मिस्टर टेन पर्सेंट संबोधित किया। जिन दिनों
बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री रहीं उन दिनों उनके पति आसिफ अली जरदारी को यह
नाम मिला, क्योंकि उनके बारे में कहा जाता था कि किसी भी बड़े ठेके पट्टे
में वो अपना 10% कमीशन पक्का रखते थे।
- इमरान ने इस दौरान विश्वास
जताते हुए कहा कि पाकिस्तान की सेना उनके साथ है। उन्होंने कहा कि सेना
कभी चोरों का समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने दावा किया है कि अविश्वास
प्रस्ताव में उनके खिलाफ वोट करने के लिए बागी सांसदों को 18 करोड़ रुपए
देने की पेशकश की गई है। इमरान खान ने कहा कि उन्होंने सांसदों से पैसे
लेने और गरीबों में बांटने को कहा है।
- पूर्व क्रिकेटर और
पाकिस्तानी PM ने रैली में कहा कि मैं 25 साल पहले इन लोगों के खिलाफ लड़ने
के लिए ही राजनीति में आया था। आखिरी सांस तक इन लोगों के खिलाफ लड़ूंगा।
उनका सामना करूंगा चाहे वे मेरे रास्ते में कितने भी कांटे बिछाएं। इसके
बाद इमरान ने विपक्षी नेताओं को धमकी भी दी। उन्होंने कहा कि कहा कि मैं
चोरों के गिरोह से मैं यह कहता हूं कि अविश्वास प्रस्ताव की आपकी योजना
विफल होने पर मैं आपके साथ क्या करूंगा इसके लिए क्या आप तैयार हैं?
इमरान खान अपनी पार्टी में बगावत से कैसे निपट रहे हैं?
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नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव जमा होने के बाद से सांसदों को
लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। पुलिस विपक्षी सांसदों के
खिलाफ छापेमारी कर उन्हें चेतावनी दे रही है।
- सरकार द्वारा अपहरण
किए जाने के डर से इमरान के बागी सांसद इस्लामाबाद के सिंध हाउस में रह
रहे हैं। यह सिंध सरकार की संपत्ति है और PPP द्वारा संचालित है। पाकिस्तान
के सिंध प्रांत में PPP की सरकार भी है।
- 10 मार्च को इस्लामाबाद
में पुलिस ने सांसदों के अपार्टमेंट में छापेमारी कर दो विपक्षी सांसदों
को हिरासत में लिया था। पुलिस ने आरोप लगाया कि विपक्षी
जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम एफ यानी जेयूआई-एफ के कार्यकर्ताओं ने बिना अनुमति के
अपार्टमेंट में प्रवेश किया था। हालांकि सांसदों को कुछ ही घंटों में छोड़
दिया गया था।
- इस घटना के चार दिन बाद फेडरल मिनिस्टर गुलाम सरवर
खान ने आत्मघाती हमले में विपक्ष को उड़ा देने की धमकी दी। वहीं इमरान के
राजनीतिक मामलों के विशेष सहायक शहबाज गिल ने कहा कि पार्टी के जो सांसद
सरकार के खिलाफ वोट देंगे, उनकी तस्वीरें शहरों में लगाई जाएंगी, ताकि लोग
इन देशद्रोहियों को पहचान सकें।
- वहीं इमरान खान की पार्टी के
बागी सांसद राजा रियाज ने कहा कि सरकार महंगाई को रोक पाने में फेल रही है।
इसके साथ ही राजा ने इमरान के उनपर पैसा लेकर वोट करने के आरोपों को भी
खारिज किया। उन्होंने कहा कि सांसद अपनी मर्जी से सिंध की संपत्ति में रह
रहे हैं।
- PTI के एक अन्य बागी सांसद नूर आलम खान ने कहा कि सरकार
ने उनकी कई शिकायतों का समाधान नहीं किया। उन्होंने बताया कि हमारे जैसे
दो दर्जन से अधिक बागी सांसद भी सरकार की नीतियों से खुश नहीं हैं।
इमरान खान के पास विकल्प क्या है?
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इमरान खान ने गुरुवार के झटके के बाद पार्टी नेताओं और मंत्रियों से चर्चा
की। इस दौरान गृहमंत्री शेख राशिद ने सिंध में राज्यपाल शासन लगाने और
सांसदों की खरीद में शामिल होने के चलते PPP सरकार को हटाने का आग्रह किया।
- इमरान ने प्रेसिडेंशियल रेफरेंस सौंपते हुए संविधान के अनुच्छेद
63-A के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट से चार मूल सवालों पर निर्देश मांगे
हैं। ये सवाल हैं, क्या दल बदल करने वालों की संसदीय सीट छीनी जी सकती है?
अगर पार्टी बदलने वालों को अयोग्य करार दिया जाता है, तो वे अगला चुनाव लड़
पाएंगे या नहीं? क्या अनुच्छेद 63-A के तहत दल बदलू सांसद अपनी पूरी
जिंदगी के लिए संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाएंगे? अगर कोई सांसद
अपनी पार्टी की नीति के खिलाफ वोट देता है, तो क्या वह मान्य होगा?
अविश्वास प्रस्ताव पर पाकिस्तान की सेना का क्या रुख है?
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इमरान खान ने पहले दावा किया था कि उन्हें सेना का समर्थन मिला हुआ है।
हालांकि पाकिस्तानी सेना के एक प्रवक्ता ने पिछले हफ्ते मीडिया से कहा था
कि सेना इस मामले में तटस्थ रहेगी। एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि सेना और
इमरान के रिश्ते अब पहले जैसे मधुर नहीं रहे हैं।
- सेना के बयान
पर इमरान खान ने एक रैली में कहा था कि इंसान किसी न किसी का पक्ष लेते हैं
और केवल जानवर ही तटस्थ होते हैं। हालांकि, सेना ने इमरान के बयान पर अब
तक कोई जवाब नहीं दिया है।
- इस बीच इमरान खान ने 18 मार्च की सुबह
सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की। माना जा रहा है सेना का
समर्थन हासिल करने के लिए उन्होंने यह मुलाकात की है क्योंकि पाकिस्तान की
पावरफुल सेना के सपोर्ट के बिना इमरान ज्यादा दिन तक सत्ता में बने नहीं रह
सकते हैं।
- हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि
सेना ने भी अब इमरान का साथ छोड़ दिया है। सेना के टॉप अफसरों ने इमरान से
OIC की बैठक के बाद इस्तीफा देने को कह दिया है।
इमरान के जाने पर पाकिस्तान की सत्ता किसे मिलेगी?
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इमरान के अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद तीन तरह के हालात बन सकते हैं।
एक तो सेना खुद सत्ता संभाल सकती है और कुछ दिनों बाद फिर आम चुनाव कराया
जाए।
- दूसरी स्थिति यह है कि विपक्षी पार्टियां PML-N नेता शहबाज
शरीफ को प्रधानमंत्री के लिए चुनें। इसके साथ PPP के नेता आसिफ अली जरदारी
और उनके बेटे बिलावल भुट्टो भी रेस में हाेंगे।
- एक स्थिति यह भी
हो सकती है कि इमरान खुद इस्तीफा देकर अपनी पार्टी के दूसरे नेता को
प्रधानमंत्री बना दें। कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी
सेना ने उनकी पार्टी के दूसरे नेता को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कहा है।
इमरान के अविश्वास प्रस्ताव हारने पर भारत-पाक संबंधों पर क्या असर होगा?
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पाकिस्तान के सामने भारत के साथ उसके संबंध सामान्य करने का प्रश्न बना
हुआ है। कई मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा था कि भारत और पाकिस्तान बैक
चैनल से संबंधों को सामान्य करने में जुटे हुए थे।
- हालांकि सत्ता
परिवर्तन होने पर यह फिर रुक जाएगा। ऐसे में दोनों देशों को एक बार फिर
इसके लिए कोशिश करनी पड़ेगी। वहीं एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि सेना
पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज हो जाती है तो यह बातचीत की प्रक्रिया एकदम
रुक जाएगी।
- नई सरकार के सामने भारत के साथ व्यापार की बहाली से
महंगाई पर काबू पाया जा सकता है। क्योंकि इससे पाकिस्तान गेहूं, चीनी और
सब्जियों की कीमतें कम कर सकता है। इससे पाकिस्तान के आम लोगों को काफी
राहत मिल सकती है।